Tomas Bata Success Story मोची से सफल बिजनेस मैन बनने तक का सफर :-
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Bata Shoes Owner Success Story |
Tomas Bata Success Story In Hindi
बाटा ब्रांड का परिचय :-
दोस्तों हम सभी जानते है कि जिसने भी कड़ी मेहनत, अच्छी प्लानिंग और निरन्तर प्रयास किया है उसे मुकाम भी मिले और खुशियाँ भी यह सक्सेस स्टोरी भी एक ऐसे ब्रांड की है जो बिल्कुल अपना सा लगता है भले ही इसे हम पैरों में पहनते हैं लेकिन यह हमारे दिलों पर राज करता है आप तो समझ ही गए होंगे कि मैं किस की बात कर रहा हूँ जी हाँ दोस्तों मैं बात कर रहा हूँ दुनिया के जाने-माने फुटवियर ब्रांड बाटा की
जिसकी सफलता का अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि एक समय ऐसा भी था कि जूते का मतलब ही बाटा हुआ करता था लेकिन पैरों से हमारे दिलों पर राज करने वाले बाटा ब्रांड का यह सफर इतना आसान नहीं था यह उपलब्धि पाने के लिए कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ा है बाटा चेक रिपब्लिक देश की कंपनी है
बाटा की शुरुआत :-
इसकी शुरुआत एक मोची के घर से हुई फिर मेहनत ,लगन और अच्छी सोच के दम पर टॉमस बाटा ने इसे पूरी दुनिया पर राज करने वाला फुटवियर ब्रांड बना दिया इस बाटा की शुरुआत यूरोपीय देश चेकोस्लोवाकिया के एक छोटे से कस्बे ज्लिन में रहने वाले बाटा परिवार से हुई यह परिवार कई पीढ़ियों से जूते बनाकर गुजर-बसर कर रहे थे बड़ी संघर्षों के बीच साल गुजर रहे थे 1894 में इस परिवार की किस्मत पलटी जब युवा पुत्र टॉमस ने बड़े सपने देखें और सपनो को पूरा करने के लिए कई अहम फैसले भी लिये
टॉमस बाटा का पहला कदम :-
टॉमस बाटा का जन्म 3 अप्रैल 1876 को हुआ था हालाकि टॉमस के लिए यह काम नया बिल्कुल भी नहीं था क्योंकि उनकी कई पीढ़ियां मोची का काम करती चली आ रही थी लेकिन अपने इस हुनर को इतने बड़े स्तर पर आजमाने का काम केवल टॉमस बाटा ने ही लिया और टॉमस बाटा ने परिवारिक कुटीर उद्योग को प्रोफेशनल बनाने के लिए अपनी बहन एन्ना और भाई एंटोनिन को अपना सहयोगी बनाया बड़ी मुश्किल से भाई बहनों ने माँ को राजी किया और उनसे 320 डॉलर प्राप्त किए
इसके बाद उन्होंने गांव में ही दो कमरे किराए पर लेकर किस्तों पर दो सिलाई मशीन ली, कर्ज लेकर कच्चा माल खरीदा और कारोबार का काम शुरू किया हुनर उन तीनों के हाथों में था इसलिए उनके बनाए सस्ते और मजबूत जूतों के लिए अच्छे ग्राहक मिलने लगे कुछ ही समय में काम इतना बढ़ा कि उन्होंने 10 लोगों को नौकरी पर रख लिया
करीब 40 लोग अपने-अपने घरों से उनके लिए काम करने लगे तभी पहला बड़ा झटका लगा टॉमस के भाई एंटोनिन को सेना में नौकरी मिल गई और बहन एन्ना का विवाह हो गया दोनों को कारोबार छोड़ना पड़ा । उस समय टॉमस बाटा की उम्र 19 साल थी यही युवा टॉमस बाटा सीनियर बाटा ब्रांड शूज और अपनी रहमदिली के कारण शू इंडस्ट्री के हेनरी फोर्ड के नाम से मशहूर हुआ
टॉमस बाटा का संघर्ष :-
कारोबार बढ़ाने के लिए टॉमस को भारी कर्ज लेना पड़ा एक दौर ऐसा भी आया जब समय पर कर्ज न चुकाने के कारण उनके दिवालिया होने की नौबत आ गई ऐसे में टॉमस और उनके तीन कर्मचारियों ने 6 महीने तक न्यू इंग्लैंड की एक जूता कंपनी में मजदूर बनकर काम सीखा इस दौरान उन्होंने कई कंपनियों के काम को बारीकी से देखा और उनके कार्य प्रणाली समझकर स्वदेश लौट आए यहां उन्होंने नए ढंग से काम शुरू किया 1912 में टॉमस ने 600 मजदूरों को नौकरी दी और सैकड़ों को उनके घरों में ही काम मुहैया कराया । उत्पादन के साथ बिक्री की योजना बनाते हुए बाटा के एक्सक्लूसिव स्टोर्स स्थापित किए
टॉमस बाटा पर विश्व युद्ध का प्रभाव :-
पहले विश्व युद्ध के दौरान सेना के लिए जूते बनाने का ऑर्डर मिला आर्डर पूरा करने के बाद कच्चा माल 'बाय प्रॉडक्ट' के रूप में निकला तो उन्होंने गरीबों के लिए सस्ते जूते भी बनाए युद्ध हुआ तो पूरी दुनिया में मंदी का दौर शुरू हो गया
बाटा परिवार का कारोबार भी इसकी चपेट में आ गया उद्योग जगत के उत्पादन घटा दिये गये ऐसे में टॉमस ने हिम्मत दिखाई उन्होंने बाटा ब्रांड जूतों के दाम आधा कर दिये यह आश्चर्यजनक फैसला था लोग बाटा को मूर्ख कहकर हँस रहे थे उन्होंने समर्पित कर्मचारियों को खाना ,कपड़े और रहने की सुविधा देकर उत्पादन जारी रखा
टॉमस बाटा की कामयाबी :-
इस दूरदर्शी और दिलेरी के अच्छे नतीजे मिले आधी कीमतों के कारण मंदी के बावजूद बाटा ब्रांड की माँग इतनी बढ़ी कि टॉमस बाटा को उत्पादन दस गुना बढ़ाना पड़ा बाटा जूता का उत्पादन करीब 15 गुना बढ़ा और करीब 27 देशों में फैल गया था बाटा स्टोर्स की रिटेल चेन भी हिट हो गई और उसकी सैकड़ों फ्रेंचाइजी खुलने लगी
इसी दौरान बाटा ने 50 साल आगे की सोचते हुए जूतों के अलावा मोज़े, चमड़े की चीजें ,रसायन ,टायर, रबर की चीजें जैसे उत्पाद बनाकर कंपनी का विस्तार किया जल्द ही बाटा दुनिया के सबसे बड़े शू एक्सपोर्टर बन गए टॉमस बाटा ने अपना मुख्यालय ऐसी इमारत में बनाया जो यूरोप के सबसे ऊंची कंक्रीट इमारत मानी जाती है
कंपनी का हेडक्वार्टर :-
अगर इस कंपनी के हेड क्वार्टर की बात करें तो यह लाऊसेन, स्विट्जरलैंड में मौजूद है
टॉमस बाटा की मृत्यु :-
12 जुलाई 1932 को 56 वर्षीय टॉमस बाटा एक हवाई जहाज हादसे में चल बसे दुर्भाग्य से उनके विमान के साथ यह हादसा उन्हीं की एक इमारत की चिमनी से टकराने के बाद हुई, कंपनी का नियंत्रण उनके भाई जैन और बेटा थामस जान बाटा के हाथों में आ गया दोनों ने कंपनी को संभाला और टॉमस बाटा के नक्शे कदम पर चलते हुए कंपनी को आगे बढ़ाने के लिए खूब मेहनत किया
भारत में बाटा का आगमन :-
भारत में बाटा का आगमन 1931 में हो गया था बाटा ने पहली फैक्ट्री भारत के पश्चिम बंगाल,कोंन्नार में खोली थी जो बाद में बिहार के बाटागंज शिफ्ट हो गई बाटागंज बिहार के बाद फरीदाबाद (हरियाणा), विनया (कर्नाटक) और होसुर (तमिलनाडु) समेत पाँच फैक्ट्री शुरू हुई इन सभी जगहों पर चमड़ा, रबर ,कैनवास और P.V.C से सस्ते ,आरामदायक और मजबूत जूते बनाए जाते हैं
बाटा ब्रांड की कुछ उपलब्धिया :-
#1-मौजूदा समय में बाटा 90 से भी ज्यादा देशों में अपनी पहचान बना चुका है पूरी दुनिया में इसके 5250 रिटेल स्टोर्स है
#2-बाटा ने भारत के पटना में एक लेदर की फैक्ट्री शुरू की जहाँ से वह जूतों के लिए क्वालिटी लेदर बनाने लगे पटना में अब इस जगह को बाटागंज के नाम से जाना जाता है
#3-2004 में बाटा को 'गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स' ने बाटा को दुनिया की सबसे बड़ी जूते बनाने वाली कंपनी का दर्जा दिया
#4-बाटा के भारत में सबसे ज्यादा स्टोर्स है जिनकी संख्या 1300 है
#5-बाटा कंपनी जूतों के अलावा बैग ,मोजे ,पालिश आदि का भी सामान बनाती है
#6-बाटा के नाम पर विश्वविद्यालय बाटा के फाउंडर टॉमस बाटा के नाम पर चेक रिपब्लिक में एक विश्वविद्यालय खोला गया इस विश्वविद्यालय में 10,000 से ज्यादा विद्यार्थी हैं
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