आचार्य चाणक्य के सर्वश्रेष्ठ 30 अनमोल विचार

आचार्य चाणक्य के सर्वश्रेष्ठ 30 अनमोल विचार :


आचार्य चाणक्य विष्णु गुप्त व कौटिल्य के नाम से विख्यात हैं चाणक्य का जन्म बौद्ध धर्म के अनुसार लगभग 400 ईसा पूर्व तक्षशिला के कुटिल नामक एक ब्राह्मण वंश में हुआ था आचार्य चाणक्य महान विद्वान थे यह मौर्य वंश के महान सम्राट चन्द्रगुप्त मौर्य के महामंत्री थे वह कौटिल्य नाम से प्रसिद्ध थे अर्थशास्त्र, राजनीत, समाज  नीति में चाणक्य का बहुत बड़ा योगदान है 

आचार्य चाणक्य के सर्वश्रेष्ठ 30 अनमोल विचार
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आचार्य चाणक्य के सर्वश्रेष्ठ 30 अनमोल विचार :


                      QUOTES #1

यदि माता दुष्ट है तो उसे भी त्याग देना चाहिए।                         

                        QUOTES #2

यदि स्वयं के हाथ में विष फ़ैल रहा है तो उसे काट देना चाहिए।                        

                       QUOTES #3 

सांप को दूध पिलाने से विष ही बढ़ता है, न की अमृत।                        

                      QUOTES #4 

बिगडैल गाय सौ कुत्तों से भी ज्यादा श्रेष्ठ है अर्थात एक विपरीत स्वभाव का परम हितैषी व्यक्ति, उन सौ से श्रेष्ठ है जो आपकी चापलूसी करते हैं|                        

                    QUOTES #5

शत्रु की दुर्बलता जानने तक उसे अपना मित्र बनाए रखें।                       

                    QUOTES #6

सिंह भूखा होने पर भी तिनका नहीं खाता।                        

                    QUOTES #7

एक ही देश के दो शत्रु परस्पर मित्र होते है।                        

                   QUOTES #8

आपातकाल में स्नेह करने वाला व्यक्ति ही मित्र होता है।                        

                   QUOTES #9 

मित्रों के संग्रह से बल प्राप्त होता है। जो धैर्यवान नहीं है, उसका न वर्तमान है न भविष्य।                         

                   QUOTES #10

कल के मोर से आज का कबूतर भला अर्थात संतोष सब से बड़ा धन है।                         

                    QUOTES #11

विद्या  ही निर्धन का धन है। विद्या को चोर भी चुरा नहीं सकता।                          

                   QUOTES #12

शत्रुओं के गुणों को भी ग्रहण करना चाहिए।                          

                   QUOTES #13

अपने स्थान पर बने रहने से ही मनुष्य पूजा जाता है।                         

                   QUOTES #14 

किसी लक्ष्य की सिद्धि में कभी भी किसी भी शत्रु का साथ न करें।                           

                   QUOTES #15

आलसी का न वर्तमान है, और न ही भविष्य।                          

                    QUOTES #16

चंचल चित वाले के कार्य कभी समाप्त नहीं होते। पहले निश्चय करिए, फिर कार्य आरम्भ करिए।                           

                  QUOTES #17

भाग्य पुरुषार्थी के पीछे चलता है। अर्थ, धर्म और कर्म का आधार है। शत्रु दण्डनीति के ही योग्य है।                            

                   QUOTES #18

आग में घी नहीं डालनी चाहिए अर्थात क्रोधी व्यक्ति को अधिक क्रोध नहीं दिलाना चाहिए।                         

                    QUOTES #19

मनुष्य की वाणी ही विष और अमृत की खान है। दुष्ट की मित्रता से शत्रु की मित्रता अच्छी होती है।                           

                   QUOTES #20

दूध के लिए हथिनी पालने की जरुरत नहीं होती अर्थात आवश्यकतानुसार साधन जुटाने चाहिए।                           

                    QUOTES #21

कठिन समय के लिए धन की रक्षा करनी चाहिए।                           

                     QUOTES #22

 सुख का आधार धर्म है। धर्म का आधार अर्थ अर्थात धन है। अर्थ का आधार राज्य है।                           

                    QUOTES #23

वृद्धजन की सेवा ही विनय का आधार है। वृद्ध सेवा अर्थात ज्ञानियों की सेवा से ही ज्ञान प्राप्त होता है।                           

                    QUOTES #24

 ज्ञान से राजा अपनी आत्मा का परिष्कार करता है, सम्पादन करता है।                           

                   QUOTES #25

विचार अथवा मंत्रणा को गुप्त न रखने पर कार्य नष्ट हो जाता है। लापरवाही अथवा आलस्य से भेद खुल जाता है।                           

                    QUOTES #26

सभी मार्गों से मंत्रणा की रक्षा करनी चाहिए। मन्त्रणा की सम्पति से ही राज्य का विकास होता है।                           

                   QUOTES #27

मंत्रणा की गोपनीयता को सर्वोत्तम माना गया है। भविष्य के अन्धकार में छिपे कार्य के लिए श्रेष्ठ मंत्रणा दीपक के समान प्रकाश देने वाली है।                           

                   QUOTES #28

मंत्रणा के समय कर्तव्य पालन में कभी ईर्ष्या नहीं करनी चाहिए। मंत्रणा रूप आँखों से शत्रु के छिद्रों अर्थात उसकी कमजोरियों को देखा-परखा जाता है।                          

                      QUOTES #29

आवाप अर्थात दूसरे राष्ट्र से संबंध नीति का परिपालन मंत्रिमंडल का कार्य है।                         

                     QUOTES #30

दुर्बल के साथ संधि न करे। ठंडा लोहा लोहे से नहीं जुड़ता।

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